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दादा ने इसलिए रखा था मोहम्मद (स.अ) नाम, लोगों के पूछने पर दिया था बड़ी सादगी से जवाब

Prophet Muhammad PBUH: कभी आपने सोचा है कि आखिर अब्दुल्लाह और आमिना के बेटे का नाम मोहम्मद (स.अ) कैसे पड़ गया. दादा अब्दुल मुत्तलिब ने क्या सोचकर ये नाम रखा था? आइये जानते हैं पूरी डिटेल

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दादा ने इसलिए रखा था मोहम्मद (स.अ) नाम, लोगों के पूछने पर दिया था बड़ी सादगी से जवाब
Sami Siddiqui |Updated: Aug 09, 2025, 12:31 PM IST
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Prophet Muhammad PBUH: अरब में शुरुआत से ही एक भविष्यवाणी थी कि कोई मसीहा पैदा होने वाला है. यहूदियों को लगता था कि उनमें से ही ये मसीहा होगा. हालांकि, खुदा ने कुरैश खानदान में मोहम्मद (स.अ) को पैदा किया. लेकिन, कभी आपने सोचा कि अल्लाह के आखिरी और प्यारे पैगंबर का नाम मोहम्मद कैसे पड़ गया और इसके पीछे की पूरी कहानी क्या है? तो आइये जानते हैं.

क्या है मोहम्मद (स.अ) नाम पड़ने का पूरा किस्सा?

रबीउल-अव्वल की बारह तारीख थी और दिन था सोमवार का, आमिना के घर एक बच्चे ने जन्म लिया, कुछ वक्त पहले ही उनके खाविंद अब्दुल्लाह का इंतेकाल हुआ था. अमीना का बेटा बेइंतेहा खूबसूरत था, खूबसूरती ऐसी की चांद भी फीका लगे. जो उन्हें देखता खूब तारीफ करता. अमीना ने अपने ससुर अब्दुल मुत्तलिब को इसकी खबर कराई कि उनको एक बेटा हुआ है और आकर अपने पोते को देख लें.

तवाफ के बाद बच्चे का नाम रखा मोहम्मद

अब्दुल मुत्तलिब की खुशी का ठिकाना नहीं रहा और वह दौड़ते हुए आमिना के पास पहुंचे, बच्चे को देखते ही वह खिल उठे, एक तो लड़का था और दूसरा अब्दुल्लाह का. उन्होंने खुशी से बच्चे को उठाया, सीने से लगाया और माथे को चूमा. इसके बाद वह बच्चे को लेकर काबा पहुंचे और तवाफ किया, और नाम मोहम्मद रखा. मोहम्मद नाम का मतलब होता है हर तरह से तारीफ के लायक, जिसे सब पसंद करें और सब अच्छा कहें.

पैदा होने के सात दिन बाद अब्दुल मुत्तलिब ने ऊंट कुर्बान किया और लोगों की दावत की. जब लोग खाना खा चुके थे तो उन्होंने पूछा कि अब्दुल मुत्तलिब, क्या वजह है आपने अपने पोते का नाम मुहम्मद रखा? आपने खानदानी नाम क्यों नहीं रखा? कई लोगों ने कहा कि इससे पहले कभी किसी का नाम मोहम्मद नहीं रखा गया.

अब्दुल मुत्तलिब ने सादगी से जवाब दिया और कहा मैंने चाहा कि इसकी आसमान और जमीन दोनों पर तारीफ हो. बनाने (खुदा) वाले को भी प्यार हो और लोगों को भी इससे प्यार हो. उन्होंने बड़ी सादगी से अपनी ख्वाहिश ज़ाहिर कर दी. हालांकि, इस दौरान इस नाम के खिलाफ कुछ लोगों का विरोध भी देखने को मिला. कई लोगों ने कहा कि इस नाम में हमारे किसी पूर्वजों का आशीर्वाद नहीं होगा. हालांकि बाद में सभी ने इस नाम को कबूल किया और आप के लिए दुआएं करना शुरू कर दीं. उस वक्त तक किसी को नहीं पता था कि ये बच्चा आखिरी पैगंबर होगा और पूरी उम्मते मुस्लिमा इसके जरिए दिखाए गए रास्ते पर चलेगी.

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