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World Snake Day: ये 15 फैक्ट्स आपको बना देगा साँपों का एक्सपर्ट, बचा सकते हैं हज़ारों लोगों की जान

World Snake Day: हर साल सर्पदंश से लाखों लोगों की मौत हो जाती है. इसलिए UNO ने इसे एक मेडिकल इमरजेंसी घोषित कर कर दिया है. सर्पदंश के घटनाओं में अगर मरीज को समय पर अस्पताल पहुंचा दिया जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है. लेकिन जानकारी के अभाव में हर साल भारत सहित दुनिया भर में सर्पदंश से लाखों लोग मर जाते हैं.  हम यहाँ साँपों से जुड़े ऐसे 15 ज़रूरी फैक्ट्स आपको बता रहे हैं, जिससे आप एक सांप एक्सपर्ट बनकर हजारों लोगों की जान बचा सकते हैं.

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 World Snake Day: ये 15 फैक्ट्स आपको बना देगा साँपों का एक्सपर्ट, बचा सकते हैं हज़ारों लोगों की जान
Dr. Hussain Tabish|Updated: Jul 16, 2025, 10:31 PM IST
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World Snake Day: दुनियाभर में सांपों की 3,500 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से करीब 300 अकेले भारत में हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक, कुल सांपों में सिर्फ 600 प्रजातियां ही जहरीली होती हैं, और उनमें से भी सिर्फ 200 प्रजातियां ऐसी हैं, जिससे इंसानों को खतरा रहता है. अगर भारत में जहरीले साँपों की बात करें तो यहाँ  300 साँपों में सिर्फ 3 से 4 सांप ही जहरीले पाए जाते हैं.  

धरती पर पारिस्थितिक तंत्र को बेहतर रखने और जैविक संतुलन बनाए रखने में सांपों का खास योगदान है. इनकी मौजूदगी संतुलित पारिस्थितिकी तंत्र का प्रतीक मानी जाती है. दरअसल, सांप अपने शिकार की आबादी को नियंत्रित रखने में मददगार होते हैं. वे कीड़े-मकोड़े और अन्य छोटे जानवरों का शिकार करके उनकी आबादी को नियंत्रित करते हैं. वैसे ही यह शिकारी पक्षियों, स्तनधारियों और अन्य प्रकार के जीवों के लिए भोजन का स्रोत भी हैं. सांप धरती पर खाद्य श्रृंखला का एक अभिन्न घटक है. चिकित्सा क्षेत्र में भी सांपों का अमूल्य योगदान है. सांप के जहर का इस्तेमाल कई प्रकार की दवाओं के विकास में किया जाता है. सांपों को लेकर कई तरह की भ्रांतियां हैं, जिसे दूर करने के लिए दुनियाभर में हर साल 16 जुलाई को 'विश्व सांप दिवस' या 'वर्ल्ड स्नेक डे' मनाया जाता है. 'वर्ल्ड स्नेक डे' की शुरुआत साल 1970 में अमेरिका के टेक्सास शहर से हुई थी. 

भारत में पाए जाने वाले विषैले सांप कौन- कौन से हैं ? 

Answer​. भारत में लगभग 60 किस्म के सांप विषैले होते हैं, जो इंसानों के लिए घातक हैं. इनमे करैत, बैंडेड करैत, रसेल वाईपर (दुबोइया), गेहुँअन (नाग), किंग कोबरा, सॉ स्केल्ड वाईपर, बम्बू पिट वाईपर, और अफई  भारत में पाए जाने वाले महाविषैले सांप हैं, जिसके काटने से इंसानों की मौत निश्चित है. 

भारत के किन राज्यों में पाए जाते हैं विषैले सांप ? 
Answer- बिहार, झारखण्ड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, राजस्थान, गुजरात, तेलंगाना, आन्ध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, साँपों को लकर रेड जोन इलाका माना जाता है.  इन इलाकों में जून से सितम्बर तक स्नेक biting के सर्वाधिक मामले होते हैं.   

भारत में हर साल कितने लोग सांप काटने से मर जाते हैं ?
Answer-भारत में हर साल लगभग 80 हज़ार लोगों की सांप काटने से मौत हो जाती है. ये वो आंकड़े हैं, जो सरकारी अस्पतालों में दर्ज होते हैं. बाकी एक अनुमान के मुताबिक हर 10 मिनट में भारत में एक व्यक्ति की मौत सांप काटने से हो जाती है. दुनिया में हर साल 54 लाख लोगों को सांप काटता है, जिसमें 27 लाख लोगों को विषैले सांप काटते हैं. 

सांप काटने का क्या है इलाज़ ? 
Answer- विषैला सांप काटने का एकमात्र इलाज एंटी स्नेक वीनम दवा है, जो समय पर मरीज को लगने से उसे बचाया जा सकता है. समय पर दवा मिलने से 95 फीसदी मामलों में मरीज की जान बचाई जा सकती है. 

किसी विषैले सांप ने ही काटा है, इस बात की कैसे करें पहचान ? 
Answer- सांप काटने के 20 फीसदी मामलों में सांप नहीं दिखता है. अधिकतर विषैला सांप रात के अँधेरे में काटता है. सांप काटने पर काटे वाले स्थान पर तीव्र वेदना हो सकती है. काटने के दो डॉट के निशान दिख सकते हैं. काटे वाले स्थान से खून का रिसाव हो सकता है. मरीज को सर में चक्कर, तेज दर्द , उलटी , या पेट दर्द भी हो सकता है. मरीज के आँखों की पलकें आधी खुली और आधी बंद हो सकती है. उसकी आँखें और पलके भारी नशे या नींद की आगोश में जाने जैसा हो सकता है. 

विषैले सांप के काटने के बाद तुरंत क्या करें ? 
Answer- मरीज चलने- फिरने, मूवमेंट करने से बचकर शांत अवस्था में बैठ जाए. कुर्सी सोफे आदि पर बैठा जाएँ. कोई मेहनत का काम न करें. घबराए नहीं. शरीर से कड़ा, चूड़ी, लहठी, अंगूठी, पायल, आदि धातु के सभी सामान उतार दें. हो सके तो काटे वाले स्थान से एक इंच हटाकर कोई सूती कपड़ा या क्रेप बैंडेड से बाँध दें. इसे बहुत ज्यादा टाइट भी न करे. अगर काटे वाले जगज पर कोई लकड़ी या कमानी आदि लगाकर बांधना संभव हो तो ये करना ज्यादा सही रहता है, जैसे टूटी हड्डियों को बांधते हैं. कटे स्थान पर कोई चीरा, या दवा न लगाएं. हिंदी फिल्मों के हीरो की तरह उस स्थान को चूसने चाटने की कोशिश न करें. मरीज को चाय, कॉफ़ी, बीयर, शराब, शरबत, एनर्जी ड्रिंक आदि पीने को न दें. इस अवधि में अपनी अतराफ़ से कोई दवा भी न दें. पहले घंटे में मरीज को अस्पताल पहुंचा दें. मरीज को पैदल अस्पताल न ले जाए. अम्बुलेंस, कार, बाइक या कुछ न हो तो साइकिल पर बिठाकर जल्दी भागे. बाइक पर अकेले न बैठने से पीछे से एक आदमी पकड कर बैठे. 

सांप काटने के कितनी देर के अंदर मरीजों को डॉक्टर के पास ले जाने और दवा दिए जाने पर उसकी जान बचाई जा सकती है ? 
Answer- सांप काटने के 1 से दो घंटे के अंदर अगर मरीज को अस्पताल पंहुचा दिया जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है. 

सांप काटने के बाद मरीज को किस अस्पताल में ले जाए जाना चाहिए?
Answer- सांप काटने के बाद मरीज को जिला या सदर अस्पताल में ले जाना चाहिए. हर सरकारी अस्पताल में ये दवा मुफ्त में मिलती है. बड़े निजी अस्पताल में भी सांप काटने का इलाज होता है. बेहतर होगा कि इसकी जानकरी पहले से रखें या घर से निलकने के पहले किसी जानकार से फोन पर इसकी सूचना ले लें कि आप के इलाके में  सांप काटने का इलाज किस हॉस्पिटल में मौजूद है.  

विषैले साँपों के काटने के बाद एक मरीज को कितने एंटी स्नेक विनम की खुराक लग सकती है?  
Answer-- काटने वाले विषैले साँपों के प्रकार, शरीर में छोड़ी गई ज़हर की मात्र और मरीज के अस्पताल पहुँचने में लगने वाले समय के अनुसार एक मरीज़ को 10 ML वाले एंटी स्नेक वीनम के 10 वाइयल से लेकर 30  वाइयल तक लग सकती है. इस दवा को sline के साथ नस में दिया जाता है. 

क्या हर विषैले साँप के काटने का अलग- अलग दवा होता है? 
Answer- विकसित देशों में हर जहरीले सांप के काटने का अलग- अलग इलाज होता है, लेकिन भारत में सभी प्रकार के ज़हरीले साँपों का एक ही एंटी स्नेक विनम होता है. इसलिए दवा की मात्र और उपचार में समय भी अधिक लगता है. 

क्या सांप काटने के बाद इलाज के लिए मरीज को अस्पताल में या डॉक्टर को साँपों की पहचान बताना ज़रूरी है..क्या सांप पकड़कर अस्पताल ले जाना ज़रूरी है ? 
Answer- अगर मरीज काटने वाले सांप का फोटो अपने मोबाइल में रख ले, या मरे हुए सांप को रख ले तो डॉक्टर को पहचान करने में थोड़ी आसानी होती है. लेकिन अगर मरीज सांप को नहीं पहचान पाया तो भी कोई बात नहीं है. एक छोटे से खून की जांच से इसका आसानी से पता लगा लिया जाता है. भूलकर भी जिंदा सांप को लेकर अस्पताल न ले जाए, इससे दूसरे लोगों को भी खतरा हो सकता है.  

सांप काटे हुए मरीज को अस्पताल में उपचार के लिए कितना दिन रुकना पड़ सकता है? 
Answer- काटने वाले विषैले साँपों के प्रकार, शरीर में छोड़ी गई ज़हर की मात्र और मरीज के अस्पताल पहुँचने में लगने वाले समय के मुताबिक मरीज को अस्पताल में 24 घंटे से लेकर हफ्ता १० दिन तक भी रुकना पड़ सकता है. 

क्या कोई जड़ी बूटी या चिकित्सा के दूसरी पद्धितियों में विषैले सांप के काटने का इलाज मौजूद है ? 
Answer-दुनिया में अभी तक किसी ऐसी जड़ी बूटी या किसी दूसरी चिकित्सा पद्धति में विषैले सांप के काटने के इलाज या उपचार के प्रमाण नहीं मिले हैं ? ऐसे किसी जड़ी बूटी या इलाज पर भरोसा करना मरीज के मौत का कारण बन सकता है.

क्या किसी दुआ- तावीज या झाड़- फूंक से विषैले सांप के काटने का इलाज संभव है. क्या इससे मरीज की जान बचाई जा सकती है ? 
Answer- दुनिया में कोई भी दुआ- तावीज या झाड़- फूंक विषैले सांप का जहर उतारने में कामयाब नहीं है. इसके चक्कर में पड़ने से मरीज की जान जा सकती है? 

अगर जड़ी- बूटी, दुआ- तावीज या झाड़- फूंक कारगर नहीं है, तो फिर विषैले साँपों के काटने के बाद भी कुछ मरीजों की जान कैसे बच जाती है?
Answer- भारत समेत दुनियाभर में लगभग 70 फीसदी सांप विषहीन होते हैं. इनके काटने पर कोई इलाज नहीं कराना होता है. ऐसे साँपों के काटने पर जड़ी-बूटी, दुआ- तावीज या झाड़- फूंक कराने पर मरीजों की जान बच जाती हुई मालूम होती है, और लोगों का इसपर भरोसा कायम हो जाता है. कभी-कभी विषैले साँपों के काटने पर भी जड़ी- बूटी, दुआ- तावीज या झाड़- फूंक कराने पर मरीज़ बच जाता है. ऐसा इसलिए होता है, क्यूंकि विषैले सांप दो तरह से काटते हैं, बाईट और फाल्स या ड्राई बाईट. अगर वो काटने के बाद इंसानों के जिस्म में ज़हर छोड़ देते हैं तो इंसान का मरना तय है, लेकिन कई बार वो इंसानों को डराने या संभावित खतरों को भांपकर फाल्स या ड्राई बाईट करते हैं, जिसमें सिर्फ दांतों से काटते हैं, लेकिन ज़हर नहीं छोड़ते हैं. ऐसे में विषैले साँपों का ड्राई बाईट वाला मरीज़ भी जड़ी- बूटी, दुआ- तावीज या झाड़- फूंक से बच जाता है. ऐसे ड्राई बाईट में काटे जाने वाले स्थान से खून भी गिरता है, जबकि डसने के बाद ज़हर छोड़ने पर खून नहीं भी गिर सकता है. ज़हरीले सांप भी 50 फीसदी बाईट फाल्स या ड्राई बाईट करते हैं. वो बड़े खतरे के लिए अपना ज़हर बचाकर रखते हैं. करैत ड्राई बाईट नहीं करता है. 
 

नोट: ये जानकरी स्नेक एक्सपर्ट सुनील कुमार की किताब 'समथिंग सर्पिला' के तथ्यों और डॉक्टर से बातचीत के आधार पर प्रसारित की गई है. 

 

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