दिल्ली के इस ब्रिज को क्यों कहा जाता है लोहे का ब्रिज, जानिए क्या है खासियत

Harshit Singh
Jul 02, 2025

वजीराबाद बैराज: दिल्ली का सबसे पुराना पुल माना जाता है, जिसकी उम्र लगभग 650 साल है. इस पुल के नीचे नौ मेहराबें हैं और इसके पिलर अनगढ़ पत्थरों से बने हैं.

सिग्नेचर ब्रिज: यह यमुना नदी पर बना एक केबल-स्टे ब्रिज है, जो पूर्वी दिल्ली को वजीराबाद से जोड़ता है. इसकी ऊंचाई 154 मीटर है, जो इसे कुतुब मीनार से भी ऊंचा बनाती है.

युधिष्ठिर सेतु (कश्मीरी गेट आईएसबीटी के पास): यह एक सड़क पुल है.

निजामुद्दीन रोड ब्रिज: जिसे नया निजामुद्दीन पुल भी कहा जाता है, यह पूर्वी दिल्ली को दक्षिणी दिल्ली से जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण सड़क पुल है.

ओखला बैराज: यमुना नदी पर बना यह एक सड़क पुल है, जो दिल्ली और नोएडा को जोड़ता है. इसका निर्माण 1874 में हुआ था और यह 791 मीटर लंबा है.

मजेंटा लाइन मेट्रो ब्रिज (कालिंदी कुंज और ओखला पक्षी अभयारण्य के बीच): यह एक मेट्रो पुल है.

बारापुला पुल: यह पुल 400 साल से भी अधिक पुराना है और इसका निर्माण मुगल बादशाह जहांगीर के शासनकाल में हुआ था. यह पुल 12 खंभों पर टिका हुआ है, इसलिए इसे 'बारापुला' (12 खंभे) कहा जाता है.

पुराना यमुना ब्रिज : यह पुल रेलवे और सड़क यातायात दोनों के लिए प्रयोग होता है. इसे 'लोहे का पुल' भी कहा जाता है. क्योंकि 1866 में इसके निर्माण में 3500 टन लोहे का उपयोग करके किया गया था.

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