छूने पर डंक जैसा दर्द, लेकिन कई रोग करती छूमंतर, जानें उत्तराखंड में कहां मिलती है बिच्छू घास

Pradeep Kumar Raghav
May 10, 2025

बिच्छू बूटी या बिच्छू घास

उत्तराखंड में तमाम तरह के औषधीय पौधे और जड़ी-बूटी पाई जाती हैं, ऐसा ही एक पौधा है बिच्छू बूटी, जिसे बिच्छू घास भी कहते हैं.

बिच्छू के डंक से चुभन

इस पौधे को छूने पर बिच्छू के डंक सी चुभन होती है इसलिए कभी इसे नंगे हाथ नहीं छूना चाहिए. इसकी पत्तियों पर छोटे चुभने वाले बाल होते हैं.

औषधीय उपयोग

बिच्छू बूटी का उपयोग गठिया, जोड़ों का दर्द, त्वचा की एलर्जी, मूत्र पत्र संक्रमण, खून की कमी, रक्त शर्करा नियंत्रण (Sugar Control)और अस्थमा जैसे रोगों में लाभकारी होता है.

पोषक तत्व

बिच्छू बूटी में विटामिन ए, सी, और के, मैग्नीशियम, आयरन, फास्फोरस, सोडियम और पोटेशियम जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं.

कैसे कर सकते हैं सेवन

बिच्छू बूटी का उपयोग चाय, सलाद, और चटनी के रूप में किया जा सकता है. इसकी पत्तियों को पीसकर लेप भी बनाया जा सकता है. जो त्वचा रोग में लाभकारी है.

इस्तेमाल में सावधानी

बिच्छू बूटी पत्तियों पर चुभने वाले बाल होते हैं. इसलिए इसके पौधे को या पत्तियों को छूने से पहले दस्ताने अवश्य पहन लें, नहीं तो चुभन का सामना करना पड़ेगा.

कहां मिलती है बिच्छू बूटी

बिच्छू बूटी क्योंकि मुख्यत: पहाड़ी क्षेत्र में पाई जाती है उत्तराखंड में ये नैनीताल, भीमताल, रानीबाग और अल्मोड़ा जैसे कुमाऊं क्षेत्र में पाई जाती ह

इसके कई नाम

बिच्छू बूटी को बिच्छू घास के अलावा बिछुआ, कंडाली, सिसौंण, और नेटल लीफ के नाम से भी जाना जाता है. इससे जैकेट और चप्पलें भी बनाई जाती है.

Disclaimer

लेख में उल्लिखित सलाह, सुझाव व जानकारी केवल सामान्य सूचना के उद्देश्य से है. इन्हें पेशेवर चिकित्सा की सलाह के तौर पर न लें. कोई भी सवाल या परेशानी होने पर हमेशा अपने डॉक्टर और एक्सपर्ट से सलाह लें.

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