मेरठ से 20 किलोमीटर दूर सैनी गांव आज भी चर्चा का केंद्र बना हुआ है. यह गांव मुख्य सड़क से 60 फीट ऊंचाई पर बसा हुआ है.
जहां आने-जाने के लिए लोगों को इसी चढ़ाई पर चढ़कर जाना पड़ता है. कुछ स्थानों पर तो सीढ़ियां भी बनी हुई है.
यह गांव महाभारत और रामायण कालीन युग से जुड़ा हुआ है. यहां कई ऐतिहासिक तथ्य यहां देखने को मिलेंगे. यह आज भी महाभारत कालीन टीले पर बसा हुआ है.
इस गांव की ऊंचाई का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है. अंग्रेजी हुकूमत द्वारा भी यहां पर एक गड़गज टावर बनाया गया था.
गड़गज टावर के जरिये वह आस पास के क्षेत्र पर सैनिकों के माध्यम से नजर रखते थे. जो आज भी मौजूद है.
अगर आप इस गांव में घूमने आएंगे, तो कई गलियों में आपको सीढ़ियां भी देखने को मिलेंगी. जिनका इस्तेमाल करते हुए ग्रामीण अपने घरों में एंट्री करते हैं.
ऐसे ही आप किसी भी स्थान से अगर इस गांव की तरफ जाएंगे, तो आपको ऊंची चढ़ाई चढ़नी नहीं पड़ेगी. तभी आप किसी भी घर में पहुंच पाएंगे.
इसी तरह का नजारा आपको हस्तिनापुर में देखने को मिलेगा. जहां आज भी मिट्टी के टीले बने हुए हैं. हालांकि उन पर कोई रहता नहीं है.
सिर्फ एक दो स्थानीय ऐसे हैं, जो थोड़े से टील पर बसे हुए हैं. लेकिन मेरठ का यह गांव अपने आप में ऊंचाई को लेकर विशेष पहचान बनाए हुए हैं.
यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.