उत्तर प्रदेश में आज भी कई ऐसे मंदिर मौजूद हैं, जहां किसी भगवान की नहीं बल्कि राक्षसों की पूजा की जाती है. आइए जानते हैं इन जगहों के बारे में...
इन मंदिरों में दर्शन के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं. जो सिर्फ चढ़ावा नहीं चढ़ाते, वे इतिहास, भावना और परंपरा से जुड़ने आते हैं.
गोकुल में पूतना मंदिर, हमें बताता है कि भक्ति सिर्फ रूप नहीं, भावना से होती है अगर वो राक्षसी ही क्यों न हो.
लेटी पूतना और श्रीकृष्ण की प्रतिमा देख श्रद्धालु भावुक हो उठते हैं. दूध देने वाली पूतना को भी मां की तरह पूजा जाता है.
कानपुर का दशानन मंदिर रावण को केवल राक्षस नहीं, विद्वान और शिवभक्त रूप में भी देखने का नजरिया देता है.
हर दशहरा पर खुलता रावण मंदिर दिखाता है कि ज्ञान और भक्ति की पूजा, परंपरा से बड़ी हो सकती है.
झांसी में स्थित अहिरावण मंदिर सदियों से श्रद्धा का केंद्र है, जहां पौराणिक राक्षसी इतिहास आज भी सांस लेता है.
अहिरावण और महीरावण के साथ हनुमान की पूजा, अच्छाई-बुराई के द्वंद्व को संतुलन में देखने की अद्भुत दृष्टि देती है.
लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि स्वयं करें. एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.